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મારા મનનું મોતી
તું ,
દિલ નો દરિયો ડોળ્યો
વાસુકી મેરુ ને ભરડ્યો ,
અગાધ ઉંડાણે થી
કૌસ્તુભ કાઢ્યું ગોતી :
પણ મોહન હું ના ,
મુગટ મને ના ,
ક્યાં પધરાવું ?
આંખડી મારી
છાનું છાનું રોતી .
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Original Gujarati / 13 Oct 1979
Hindi Translation / 15 July 2015
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तुम्हारा कहान कैसे कहलाऊ ?
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तुम हो
मेरे मन का मोती ,
मेरे दिल की अगाध गहराईओं में छिपा
कौस्तभ ,
तुम्हारे गांव में
न था सागर
न था मेरु परबत
न था वासुकि नाग को खींचने वाले
देव और दानव
फिर भी ढूंढ़ निकाला
मगर पहेनु तो कैसे ?
कहाँ ?
ना है मेरे पास
मुगट मोहन का ,
और
बिना बांसुरी
तुम्हारा कहान कैसे कहलाऊ ?
'गर मेरी अखियाँ रोती
तो तुम देख पाती ,
जरा मेरे दिल के अंदर
झाँख के देखो
गमो के दरिया में
डूबा हुआ है
मोती
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Goti took
out the kaustubh
pearl of
my mind
you,
The sea
of the heart swelled
Vasuki
filled Meru,
From the depths of the abyss
Excerpted Goti:
But not
Mohan,
no crown
to me,
Where to
go?
winked
Chana Chana Roti.
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Translated in Google Translet - 16/02/2023
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