कहाँ , कौन सी कमी रह गयी ?
क्यूँ न मेरी दुआए कबूल की ?
उपरवाले !
'गर मरहम लगा शका ना ,
पर रहम तो करता !
तेरी खुदाई को
तू जाने ,
मुझे तो ये पूछना है
तुझे क्या कमी थी ?
नज़रअंदाज़ कर मेरी कमी को ,
कबूल कर लेता मेरी दुआए
तो तेरा क्या बिगड़ता ?
तूने उठा ली
मेरी वफ़ा को ,
मैं तो सजदे में
अब तक गिरा हूं !
------------------------------------------------
15 Jan 2017
क्यूँ न मेरी दुआए कबूल की ?
उपरवाले !
'गर मरहम लगा शका ना ,
पर रहम तो करता !
तेरी खुदाई को
तू जाने ,
मुझे तो ये पूछना है
तुझे क्या कमी थी ?
नज़रअंदाज़ कर मेरी कमी को ,
कबूल कर लेता मेरी दुआए
तो तेरा क्या बिगड़ता ?
तूने उठा ली
मेरी वफ़ा को ,
मैं तो सजदे में
अब तक गिरा हूं !
------------------------------------------------
15 Jan 2017
No comments:
Post a Comment